दुनिया की सबसे बड़ी चिप निर्माता कंपनी Nvidia ने गुरुवार को एक बड़ा ऐलान किया। कंपनी ने संकट का सामना कर रही सेमीकंडक्टर कंपनी Intel में 5 अरब डॉलर (करीब 41,700 करोड़ रुपये) के निवेश की घोषणा की है और साथ ही दोनों कंपनियों के बीच सहयोग बढ़ाने पर सहमति बनी है।
Nvidia ने Intel के शेयर 23.28 डॉलर प्रति शेयर की दर से खरीदने का फैसला किया है। यह सौदा अमेरिकी सरकार द्वारा Intel में 10% हिस्सेदारी लेने के महज एक महीने बाद आया है, और अब यह नियामक मंजूरी का इंतजार कर रहा है।
Nvidia के सीईओ जेन्सन हुआंग ने इस सौदे को “दो विश्व-स्तरीय प्लेटफॉर्म्स का विलय” बताया। उन्होंने कहा कि यह साझेदारी Intel की ताकत, यानी परंपरागत CPU चिप्स (जो ज्यादातर लैपटॉप चलाते हैं) और Nvidia की विशेषज्ञता, यानी AI के लिए जरूरी ग्राफिक्स चिप्स (GPU) को एक साथ लाती है।
हुआंग ने पत्रकारों से कहा, “यह साझेदारी इस बात की मान्यता है कि कंप्यूटिंग मूल रूप से बदल चुकी है। एक्सेलरेटेड और AI कंप्यूटिंग का दौर आ चुका है।”
इस खबर के बाद Intel के शेयरों में लगभग 23% की जबरदस्त उछाल आई, जो 1987 के बाद से कंपनी का सबसे बड़ा एक दिवसीय प्रतिशत लाभ है। वहीं, Nvidia के शेयरों में भी 3% से अधिक की बढ़त दर्ज की गई।
क्या होगा फायदा?
- डेटा सेंटर के लिए: Intel, Nvidia के लिए कस्टम चिप्स बनाएगी जिनका इस्तेमाल उसके AI इन्फ्रास्ट्रक्चर प्लेटफॉर्म में होगा।
- पर्सनल कंप्यूटर के लिए: Intel ऐसी चिप्स बनाएगी जिनमें Nvidia की तकनीक इंटीग्रेटेड होगी।
यह सौदा Intel के लिए एक राहत की खबर की तरह है, जो AI की दौड़ में काफी पिछड़ चुकी थी। Nvidia इस बूम की वजह से दुनिया की सबसे मूल्यवान कंपनी बन गई, जबकि Intel पिछले साल लगभग 19 अरब डॉलर और इस साल की पहली छमाही में 3.7 अरब डॉलर के घाटे में रही। कंपनी ने 2025 के अंत तक अपनी एक चौथाई कर्मचारियों की छंटनी का भी अनुमान जताया है।
अमेरिकी सरकार का बढ़ा रोल
पिछले महीने, पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन ने Intel में 10% हिस्सेदारी (433.3 मिलियन शेयर, 20.47 डॉलर प्रति शेयर की दर से) हासिल करके अमेरिकी तकनीक और घरेलू विनिर्माण को मजबूत करने का संकेत दिया था। Nvidia की इस नई हिस्सेदारी के बारे में हुआंग ने स्पष्ट किया कि “ट्रम्प प्रशासन का इस साझेदारी में कोई involvement नहीं था,” हालांकि उनका कहना था कि प्रशासन “बेशक इसका समर्थन करता।”
गुरुवार को Intel के शेयरों में उछाल से अमेरिकी सरकार की हिस्सेदारी का मूल्य 13.2 अरब डॉलर हो गया, जो Nvidia की घोषणा से पहले के मुकाबले 2.5 अरब डॉलर की बढ़त है।
चीन पर नजर
यह सौदा ऐसे वक्त में आया है जब चीन, अमेरिकी सेमीकंडक्टर तकनीक पर निर्भरता कम करने की कोशिशों में जुटा है। इसी हफ्ते, चीनी अधिकारियों ने कथित तौर पर अपनी कई बड़ी घरेलू तकनीक कंपनियों को Nvidia की चिप्स खरीदने से रोक दिया है। वहीं, चीन स्थित Huawei ने अपने AI चिप्स के विकास और विनिर्माण का विस्तार करने की घोषणा की है।

हालाँकि, Nvidia और Intel अभी नई चिप्स के विकास पर तो एक साथ काम करेंगे, लेकिन अभी तक दोनों के बीच कोई विनिर्माण सौदा नहीं हुआ है। Nvidia का Intel की चिप फाउंड्रीज़ तक पहुंचना ताइवान की TSMC कंपनी के लिए एक जोखिम बन सकता है, जो फिलहाल Nvidia के फ्लैगशिप प्रोसेसर बनाती है। हुआंग ने जोर देकर कहा कि उनकी कंपनी और Intel दोनों ही TSMC के “बहुत सफल ग्राहक” बने रहेंगे।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
1. क्या Nvidia का यह निवेश Intel को AI की दौड़ में वापस ला सकता है?
जरूर! यह सौदा Intel को AI के खेल में ‘फ्रंट एंड सेंटर’ ला देता है। Intel के पास चिप बनाने की दशकों की expertise है और Nvidia के पास AI और GPU की सबसे एडवांस्ड तकनीक। इन दोनों के गठजोड़ से एक strong कॉम्पिटिशन पैदा हो सकता है और Intel को AI बाजार में फिर से जगह बनाने में मदद मिल सकती है।
2. Nvidia ने अपने प्रतिद्वंद्वी कंपनी में इतना बड़ा निवेश क्यों किया?
Nvidia का मकसद सिर्फ पैसा कमाना नहीं है। AI की दुनिया पर एकछत्र राज करने के लिए उसे दुनिया की best manufacturing capabilities की जरूरत है। Intel की फैक्ट्रियाँ (फाउंड्रीज़) इसका एक शानदार समाधान हो सकती हैं। इसके अलावा, यह सौदा अमेरिकी सरकार की ‘घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने’ की नीति के भी अनुकूल है, जिससे कंपनी को strategic फायदा होगा।
3. क्या इस सौदे का फायदा आम ग्राहकों को भी मिलेगा?
बिल्कुल! लंबे समय में इसके कई फायदे हो सकते हैं। दोनों कंपनियों की ताकत के मेल से ज्यादा शक्तिशाली, efficient और शायद सस्ते चिप्स बन सकते हैं। इससे AI की शक्ति आम लैपटॉप और PCs में भी बेहतर तरीके से आ सकेगी। साथ ही, बाजार में competition बढ़ने से innovation तेज होगी और ग्राहकों को बेहतर प्रोडक्ट्स मिलेंगे।




















