क्या अब विमान हादसों में बचेगी जान? इंजीनियर्स ने बनाया ऐसा ‘कवच’ जो 2 सेकंड से भी कम समय में उड़ते हुए प्लेन को बचा लेगा!

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डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कुछ समय पहले अहमदाबाद में हुए एअर इंडिया विमान हादसे ने सभी को दुखी कर दिया था। लेकिन इस दुखद घटना से एक उम्मीद की किरण भी निकली है। दरअसल, इस हादसे से प्रेरणा लेकर दो भारतीय इंजीनियरों ने एक ऐसा अनोखा कॉन्सेप्ट तैयार किया है जो भविष्य में विमानों को क्रैश होने से बचा सकता है और सैकड़ों यात्रियों की जान बचा सकता है।

इस हैरतअंगेज कॉन्सेप्ट का नाम है ‘प्रोजेक्ट रीबर्थ’। इसे दुबई स्थित बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस (बिट्स पिलानी) के दो प्रतिभाशाली इंजीनियरिंग छात्रों, एशेल वसीम और धरसन श्रीनिवासन ने तैयार किया है। यह सिस्टम पारंपरिक सुरक्षा उपायों से बिल्कुल अलग है और इसे प्रतिष्ठित जेम्स डायसन अवॉर्ड के लिए फाइनल लिस्ट में भी चुना गया है।

यह सिस्टम कैसे करेगा कमाल?
यह सिस्टम एक स्मार्ट बॉडीगार्ड की तरह काम करेगा। यह लगातार विमान की ऊंचाई, गति, दिशा, आग लगने की स्थिति और यहाँ तक कि पायलट की प्रतिक्रिया जैसे महत्वपूर्ण कारकों पर अपनी नजर बनाए रखता है।

अगर सिस्टम में लगा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) महसूस करता है कि विमान 3,000 फीट से कम ऊंचाई पर है और कोई बड़ा हादसा होने वाला है, जिसे टाला नहीं जा सकता, तो यह अपने आप ही सक्रिय हो जाता है। महज 2 सेकंड से भी कम समय में यह विमान के अगले, बीच के और पीछे के हिस्से से विशाल एयरबैग्स (हवा से फूलने वाले कवच) बाहर निकाल देता है।

ये एयरबैग एक खास तरह के लेयर्ड क्लोथ से बने होते हैं जो विमान के मुख्य हिस्से को क्रैश के प्रभाव से बचाते हैं, ठीक वैसे ही जैसे आपकी कार के एयरबैग आपको बचाते हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि यहाँ पूरे विमान को सुरक्षा कवच मिल जाता है!

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पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

1. क्या ‘प्रोजेक्ट रीबर्थ’ सिस्टम वास्तव में काम करेगा?

यह अभी एक कॉन्सेप्ट है जिसे एक अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चुना गया है। इसे वास्तविकता में बदलने और हवाई जहाजों में इस्तेमाल करने के लिए अभी काफी रिसर्च, टेस्टिंग और रेगुलेटरी approvals की जरूरत होगी। लेकिन यह निश्चित रूप से भविष्य की एविएशन सेफ्टी के लिए एक शानदार शुरुआत है।

2. यह सिस्टम मौजूदा विमानों में भी लगाया जा सकता है या सिर्फ नए विमानों के लिए है?

अभी यह एक कॉन्सेप्ट है, इसलिए यह कहना जल्दबाजी होगी। आमतौर पर ऐसे बड़े सुरक्षा बदलाव नए विमानों के डिजाइन के दौरान ही शामिल किए जाते हैं। मौजूदा विमानों में इसे लगाना तकनीकी और आर्थिक रूप से एक बड़ी चुनौती हो सकती है।

3. क्या यह सिस्टम हर तरह के विमान हादसे को रोक पाएगा?

यह सिस्टम मुख्य रूप से उन हादसों से बचाने के लिए डिजाइन किया गया है जहाँ विमान जमीन से टकराने वाला हो (जैसे कि अहमदाबाद वाला हादसा)। यह मिड-एयर कॉलिजन या अन्य तरह की तकनीकी खराबी जैसी घटनाओं को नहीं रोक सकता। इसका मकसद क्रैश के प्रभाव को कम करके जानमाल के नुकसान को बचाना है।

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