कार खरीदने का सपना? पहले अपना बटुआ मजबूत कर लो! पोस्ट-पैंडेमिक ‘स्टिकर शॉक’ ने बढ़ाए दाम

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अगर आपको लगता है कि महंगाई सिर्फ राशन और पेट्रोल तक सीमित है, तो एक नई कार की शोरूम प्राइस टैग देखकर आपकी आँखें फटी की फटी रह जाएंगी! अमेरिका में तो हालात यह हैं कि नई कार की औसत कीमत अब $47,612 (लगभग 40 लाख रुपये) तक पहुँच गई है। यानी, पैंडेमिक से पहले के मुकाबले लगभग $10,000 का इजाफा! मतलब, कारों की कीमतों में आग लगी है और वो दूध की कीमतों से भी तेजी से भाग रही हैं।

क्यों हो रही है इतनी महंगाई? असली वजह जानकर हैरान रह जाएंगे!

इस महंगाई के पीछे एक नहीं, कई कारण हैं:

  1. पैंडेमिक का भूत: कोविड ने सप्लाई चेन का बुरा हाल कर दिया था, जिससे जरूरी पार्ट्स की कमी हो गई थी।
  2. ग्राहकों की बदली पसंद: अब लोग छोटी कारों से दूर भाग रहे हैं। SUV और पिकअप ट्रक जैसी बड़ी और फीचर-भरी गाड़ियों की डिमांड आसमान छू रही है।
  3. कार कंपनियों का मास्टर प्लान: सबसे बड़ा कारण यह है कि कंपनियों ने खुद ही महंगी कारें बनाने पर जोर देना शुरू कर दिया है। जितनी महंगी कार, उतना ज्यादा मुनाफा!

एक्सपर्ट इवान ड्र्यूरी कहते हैं, “अमेरिकन ऑटोमेकर से अब $30,000 से कम की कार ढूंढना मुश्किल है। कंपनियां सस्ते मॉडल और बेसिक वेरिएंट बनाना ही बंद कर रही हैं।”

SUV का जमाना, सिडान कारों का अकाल!

अमेरिकी बाजार में अब सिडान (साधारण कार) विलुप्त होने की कगार पर हैं। बड़ी कंपनियां जैसे जनरल मोटर्स, फोर्ड, और स्टेलांटिस (जीप, रैम, डॉज) ने लगभग पूरी तरह से SUV और ट्रक पर ध्यान केंद्रित कर दिया है। फोर्ड अब सिर्फ मस्टैंग ही बेचता है, जो एक परिवारिक सिडान नहीं है। इसका नतीजा? इन कंपनियों की कारों की औसत बिक्री कीमत $50,000 से $55,000 के बीच पहुँच गई है!

EMI ने रोकी कीमतें, अब और बढ़ने का खतरा!

पिछले कुछ सालों में हाई इंटरेस्ट रेट्स (7% के करीब) ने ही कीमतों को और ज्यादा नहीं बढ़ने दिया। एक्सपर्ट्स का मानना है कि अब जब ब्याज दरें कम हो रही हैं, तो लोग फाइनेंसिंग पर पैसा बचाकर और महंगे फीचर्स वाली कारें खरीदेंगे, जिससे औसत कीमत और ऊपर जा सकती है। फिलहाल, एक नई कार की औसत मासिक किस्त $742 तक पहुँच चुकी है।

भविष्य में और महंगी हो सकती हैं कारें!

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अगर पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप फिर से आते हैं और आयातित कारों पर भारी टैरिफ लगाते हैं, तो हालात और बिगड़ सकते हैं। यहाँ तक कि अगर टैरिफ सिर्फ कार के पुर्जों पर लगे, तो अमेरिका में बनने वाली हर कार की कीमत बढ़ जाएगी, क्योंकि कोई भी गाड़ी 100% अमेरिकी पुर्जों से नहीं बनती। यह बढ़ा हुआ खर्च सीधे आप जैसे ग्राहकों के जेब पर ही भारी पड़ेगा।


पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

1. क्या अब अमेरिकन कार कंपनियां $30,000 से सस्ती कोई नई कार नहीं बेचतीं?

जी हाँ, यह बिल्कुल सही है। फोर्ड, जनरल मोटर्स जैसी बड़ी अमेरिकन ऑटोमेकर कंपनियों ने लगभग पूरी तरह से SUV और ट्रक पर फोकस कर लिया है, जो स्वाभाविक रूप से महंगे होते हैं। उनकी लाइनअप में $30,000 (लगभग 25 लाख रुपये) से कम की नई कार ढूंढना अब बहुत मुश्किल है। सस्ते विकल्प अब ज्यादातर कुछ विदेशी ब्रांड्स से ही मिलते हैं।

2. कारों की कीमतें इतनी तेजी से क्यों बढ़ रही हैं?

इसके तीन मुख्य कारण हैं:

कंपनियों की रणनीति: कार निर्माता जानबूझकर ज्यादा मुनाफा देने वाले महंगे मॉडल्स और SUV पर जोर दे रहे हैं।

ग्राहकों की पसंद: खरीदार अब छोटी कारों के बजाय बड़े वाहन और ज्यादा फीचर्स (जैसे सनरूफ, एडवांस्ड इन्फोटेनमेंट सिस्टम) चाहते हैं।

इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड कारें: ये वाहन पारंपरिक पेट्रोल-डीजल कारों की तुलना में शुरू से ही महंगे होते हैं, जिसने औसत कीमतों को ऊपर धकेला है।

3. क्या आने वाले समय में कारों की कीमतें और बढ़ेंगी?

हाँ, इसकी काफी संभावना है। अगर ब्याज दरें और कम होती हैं, तो लोग कार लोन पर कम पैसा खर्च करके ज्यादा महंगे मॉडल खरीदने में सक्षम होंगे, जो कीमतें बढ़ा सकता है। इसके अलावा, आयातित कारों और उनके पुर्जों पर लगने वाले संभावित टैरिफ (Tax) भी कीमतों को ऊपर ले जा सकते हैं, क्योंकि यह अतिरिक्त खर्च कंपनियां सीधे ग्राहकों से वसूलेंगी।

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